Thursday, September 23, 2010

नारियल के फायदे

नारियल का सेवन स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद होता है। इसमें पोटैशियम, कैल्शियम, मैग्नीशियम, फाइबर, विटामिन ए, बी, सी और खनिज प्रचुर मात्रा में पाया जाता है। वैज्ञानिकों के मुताबिक मोटापे की समस्या से जूझ रहे लोगों के लिए नारियल का सेवन फायदेमंद होता है। इसमें कोलेस्ट्राल और वसा नहीं पाया जाता।
[अन्य फायदे]
* पाचन क्रिया को बेहतर बनाता है।
* यह इंफ्लूएंजा, दाद, चेचक, हेपेटाइटिस सी जैसे बीमारियों के लिए जिम्मेदार वायरस को खत्म कर देता है।
* शरीर को तुरंत ऊर्जा प्रदान करता है।
* रक्त में ग्लूकोज की मात्रा को संतुलित बनाए रखता है। यह डायबिटीज का खतरा भी घटाता है।
* यह हड्डियों और दांतों को भी मजबूत बनाता है।
* यह किडनी के स्टोन को गलाने में मदद करता है।
* मोटापे से बचाता है।
* ऑस्टियोपोरोसिस के खतरे से बचाता है।
* यह ब्रेस्ट, कोलन (बड़ी आंत) और लिवर कैंसर के खतरे से बचाता है।
* दिल के मरीजों के लिए काफी फायदेमंद है। यह कोलेस्ट्राल के अनुपात को सुधारता है और दिल की बीमारी के खतरे को कम करता है।
* यह शरीर पर पड़ने वाली झुर्रियों और शिथिल पड़ती त्वचा के लिए उपयोगी होता है।
* लगातार उल्टी आने पर नारियल पानी का सेवन लाभकारी होता है।

Thursday, April 22, 2010

अंगूर के फायदे

अंगूर एक बलवर्घक एवं सौन्दर्यवर्घक फल है। अंगूर फल मां के दूघ के समान पोषक है। फलों में अंगूर सर्वोत्तम माना जाता है। यह निर्बल-सबल, स्वस्थ-अस्वस्थ आदि सभी के लिए समान उपयोगी होता है। बहुत से ऎसे रोग हैं जिसमें रोगी को कोई पदार्थ नहीं दिया जाता है। उसमें भी अंगूर फल दिया जा सकता है। पका हुआ अंगूर तासीर में ठंडा, मीठा और दस्तावर होता है। यह स्पर को शुद्ध बनाता है तथा आँखों के लिए हितकर होता है। अंगूर वीर्यवर्घक, रक्त साफ करने वाला, रक्त बढाने वाला तथा तरावट देने वाला फल है। अंगूर में जल, शर्करा, सोडियम, पोटेशियम, साइट्रिक एसिड, फलोराइड, पोटेशियम सल्फेट, मैगनेशियम और लौह तत्व भरपूर मात्रा में होते हैं। 1. अंगूर ह्वदय की दुर्बलता को दूर करने के लिए बहुत गुणकारी है । ह्वदय रोगी को नियमित अंगूर खाने चाहिएं। 2. अंगूर के सेवन से फेफडों मे जमा कफ निकल जाता है, इससे खाँसी में भी आराम आता है। 3. अंगूर जी मिचलाना, घबराहट, चक्कर आने वाली बीमारियों में भी लाभदायक है। 4. श्वास रोग व वायु रोगों में भी अंगूर का प्रयोग हितकर है। 5. नकसीर एवं पेशाब में होने वाली रूकावट में भी हितकर है। 6. अंगूर का शरबत लो ""अमृत तुल्य"" है। शरीर के किसी भी भाग से रक्त स्राव होने पर अंगूर के एक गिलास ज्यूस में दो चम्मच शहद घोलकर पिलाने पर रक्त की कमी को पूरा किया जा सकता है जिसकी कि रक्तस्राव के समय क्षति हुई है। 7. अंगूर का गूदा " ग्लूकोज व शर्करा युक्त " होता है। विटामिन "ए" पर्याप्त मात्रा में होने से अंगूर का सेवन " भूख " बढाता है, पाचन शक्ति ठीक रखता है, आँखों, बालों एवं त्वचा को चमकदार बनाता है। 8. हार्ट-अटैक से बचने के लिए बैंगनी (काले) अंगूर का रस "एसप्रिन" की गोली के समान कारगर है। "एसप्रिन" खून के थक्के नहीं बनने देती है। बैंगनी (काले) अंगूर के रस में " फलोवोनाइडस " नामक तत्व होता है और यह भी यही कार्य करता है। 9. पोटेशियम की कमी से बाल बहुत टूटते हैं। दाँत हिलने लगते हैं, त्वचा ढीली व निस्तेज हो जाती है, जोडों में दर्द व जकडन होने लगती है। इन सभी रोगों को अंगूर दूर रखता है। 10. अंगूर फोडे-फुन्सियों एवं मुहासों को सुखाने में सहायता करता है। 11. अंगूर के रस के गरारे करने से मुँह के घावों एवं छालों में राहत मिलती है। 12. एनीमिया में अंगूर से बढकर कोई दवा नहीं है। 13. उल्टी आने व जी मिचलाने पर अंगूर पर थोडा नमक व काली मिर्च डालकर सेवन करें। 14. पेट की गर्मी शांत करने के लिए 20-25 अंगूर रात को पानी में भिगों दे तथा सुबह मसल कर निचोडें तथा इस रस में थोडी शक्कर मिलाकर पीना चाहिए। 15. गठिया रोग में अंगूर का सेवन करना चाहिए। इसका सेवन बहुत लाभप्रद है क्योंकि यह शरीर में से उन तत्वों को बाहर निकालता है जिसके कारण गठिया होता है। 16. अंगूर के सेवन से हडि्डयाँ मजबूत होती हैं। 17. अंगूर के पत्तों का रस पानी में उबालकर काले नमक मिलाकर पीने से गुर्दो के दर्द में भी बहुत लाभ होता है। 18. भोजन के आघा घंटे बाद अंगूर का रस पीने से खून बढता है और कुछ ही दिनों में पेट फूलना, बदहजमी आदि बीमारियों से छुटकारा मिलता है। 19. अंगूर के रस की दो-तीन बूंद नाक में डालने से नकसीर बंद हो जाती है।

दही का उपयोग

दूध में लैक्टोबेसिल्स बुलगारिक्स बैक्टीरिया को डाला जाता है, इससे शुगर लैक्टीक एसिड में बदल जाता है। इससे दूध जम जाता है और इस जमे हुए दूध को दही कहते हैं। दूध के मुकाबले दही खाना सेहत के लिए ज्यादा फायदेमंद है। दूध में मिलने वाला फैट और चिकनाई शरीर को एक उम्र के बाद नुकसान पहुंचाता है। इस के मुकाबले दही से मिलने वाला फास्फोरस और विटामिन डी शरीर के लाभकारी होता है। दही में कैल्सियम को एसिड के रूप में समा लेने की भी खूबी होती है। रोज 300 मि.ली. दही खाने से आस्टियोपोरोसिस, कैंसर और पेट के दूसरे रोगों से बचाव होता है। डाइटिशियन के मुताबिक दही बॉडी की गरमी को शांत कर ठंडक का एहसास दिलाता है। फंगस को भगाने के लिए भी दही का प्रयोग किया जाता है। बीमारियां भगाता है दही :आज की भागदौड की जिंदगी में पेट की बीमारियों से परेशान होने वाले लोगों की संख्या सब से ज्यादा होती है। ऎसे लोग यदि अपनी डाइट में प्रचूर मात्रा में दही को शामिल करें तो अच्छा होगा। दही का नियमित सेवन करने से शरीर कई तरह की बीमारियों से मुक्त रहता है। दही में अच्छी किस्म के बैक्टीरिया पाए जाते हैं, जो शरीर को कई तरह से लाभ पहुंचाते हैं। पेट में मिलने वाली आंतों में जब अच्छे किस्म के बैक्टीरिया का अभाव हो जाता है तो भूख न लगने जैसी तमाम बीमारियां पैदा हो जाती हैं। इस के अलावा बीमारी के दौरान या एंटीबायटिक थेरैपी के दौरान भोजन में मौजूद विटामिन और खनिज हजम नहीं होते। इस स्थिति में दही सबसे अच्छा भोजन बन जाता है। यह इन तत्वों को हजम करने में मदद करता है। इससे पेट में होने वाली बीमारियां अपनेआप खत्म हो जाती हैं। दही खाने से पाचनक्रिया सही रहती है, जिससे खुलकर भूख लगती है और खाना सही तरह से पच भी जाता है। दही खाने से शरीर को अच्छी डाइट मिलती है, जिस से स्किन में एक अच्छा ग्लो रहता है। इन्फेकशन से बचाव: मुंह के छालों पर दिन में 2-4 बार दही लगाने से छाले जल्द ही ठीक हो जाते हैं। शरीर के ब्लड सिस्टम में इन्फेक्शन को कंट्रोल करने में वाइट ब्लड सेल्स का महत्तवपूर्ण योगदान होता है। दही खाने से वाइट ब्लड सेल्स मजबूत होते हैं, जो शरीर की रोगप्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाते हैं। बढती उम्र के लोगों को दही का सेवन जरूर करना चाहिए। जो लोग लंबी बीमारी से लड रहे होते हैं, उन्हे दही अवश्य खाना चाहिए। दही उनके लिए बहुत फायदेमंद होता है। सभी डायटीशियन एंटीबायटिक थेरैपी के दौरान दही का नियमित सेवन करने की राय देते हैं। दही के सेवन से हार्ट में होने वाले कोरोनरी आर्टरी रोग से बचाव किया जा सकता है। डॉक्टरों का मानना है कि दही के नियमित सेवन से शरीर में कोलेस्ट्रोल को कम किया जा सकता है। सबके लिए लाभकारी: दही एक प्रिजर्वेटिव की तरह काम करता है। दही खमीरयुक्त डेयरी उत्पाद माना जाता है। पौष्टिकता के मामले में दही को दूध से कम नहीं माना जाता है। यह कैल्सियम तत्व के साथ ही तैयार होता है। कार्बोहाइडे्रट, प्रोटीन और फैट्स को साधारण रूप में तोडा जाता है। इसलिए दही को प्री डाइजेस्टिक फूड माना जाता है। दही को छोटे बच्चों के लिए भी उपयुक्त होता है। जोलोग किसी कारण लैक्टोस यानी शुगर मिल्क का सेवन नहीं कर पाते वे भी दही का सेवन कर सकते हैं। शुगर लैक्टीेक एसिड में बंट जाती है। बैक्टीरिया भी कैल्सियम और विटामिन बी को हजम करने में मदद करता है। अगर मीठा दही खाना हो तो इसमें चीनी की जगह पर शहद या ताजा फलों को मिलाया जा सकता है। दही और छाछ गरमी को अंदर और बाहर दोनों तरह से बचाता है। दही तपती धूप का प्रकोप रोकने में भी सहायक है। ठंडे या फ्रिज में रखे दही का सेवन नहीं करना चाहिए। सदैव ताजा दही का ही सेवन करना चाहिए।

Saturday, April 17, 2010

चाय की पती

चाय बनाने के बाद छनी हुई चाय की पत्तियां अक्सर लोग बेकार समझकर फेंक देते हैं, लेकिन हम आपको यह बताएगें कि आप इन चाय की पत्तियों को फिर से कैसे इस्तेमाल करें -- हाथ-पांव या किसी अंग में कट गया हो और खून बह रहा हो, तो इसे भर दें।- बालों को मुलायम बनाने के लिए चाय की पत्ती को मेहंदी, आंवला के साथ सर पर लगायें अच्छी तरह सूख जाने पर धोयें।-चाय की पत्ती कपड़े में बांध कर उबलते छोले में डाल दें। इससे छोला रंगदार व स्वादिष्ट बन जाएगा। -चाय की पत्ती को पानी में डालकर उबालें उस पानी से लकडी़ के फर्नीचर और शीशा साफ करें। दाग धब्बे छूट जायेंगे व चमकदार हो जाते हैं।-बनी हुई चाय की पत्ती अच्छी तरह धो लें। उसमें मिठास न रह जाय। उसे मनीप्लांट और गुलाब पौधे में डालें यह खाद का काम करेगी।-बनी हुई चाय की पत्ती दुबारा पानी में डाल कर उबालें। उस पानी से घी और तेल के डब्बे साफ करें। इससे डब्बे की दुर्गंध जाती रहेगी। -जिस स्थान पर अधिक मक्खियां बैठ रही हों। वहां धोयी हुई चाय की पत्ती को गीला करके रगड़ दें।-चाय की पत्ती में थोड़ा सा विम पाउडर मिलाकर क्राकरी साफ करें। उसमें चमक आ जाएगी।

प्याज का रस बड़ा ही गुणकारी है।

प्याज का रस बड़ा ही गुणकारी है। आप इन नुस्खों को आजमायें-* मच्छर भगाने के लिये बिस्तर पर प्याज का रस छिड़क दें तुरंत मच्छर भाग जायेगा।* गठिया रोग में, प्याज के रस में जरा सा राई का तेल मिलाकर मालिश करें गठिया रोग में लाभ होगा।*चेहरे पर झांई मुंहासे हो तो मुंहासे पर प्याज का रस लगायें, झांई हो तो प्याज का बीज पीसकर उसमें शहद मिलाकर लगायें।* अगर कही पर आप जल जाय तो, प्याज को कुचलकर जले पर लगायें। तुरंत आराम मिलेगा।* कुत्ते के काटने पर, प्याज पीसकर लगा दें। प्याज का रस पिला दें खतरा नहीं रहेगा।* सांप के काटने पर, अधिक प्याज का रस पिला दें, विष उतर जायेगा।* जुकाम प्याज का रस सूंघने से ठीक हो जायेगा।* नकसीर (गर्मियों में नाक से खून आना) प्याज का रस सूंघने से ठीक हो जाता है। * अधिक पसीना (पसीने की बदबू) आता हो, तो कच्चा प्याज खायें।

सफेद दाग दूर करने के घरेलू नुस्खे

सफेद दाग को लोगों ने कुष्ट रोग का नाम दिया है, ऐसे नामों से प्रायः लोग घबरा जाते हैं मगर सफेद दाग छूत की बीमारी नहीं है। संक्रामक रोग नहीं है। केवल त्वचा का रंग बदल जाता है किसी कारण से। अगर सही समय पर इसका इलाज किया जायें, तो समय जरूर लगेगा परंतु यह ठीक हो सकता है। इसके इलाज के लिये धैर्य की जरूरत होती है। इलाज करते-करते इन दागों के बीच में काले काले धब्बे पड़ते है। इसके लिये घबराइये नहीं। काले निशान फैलते जानने का संकेत सफेद दाग के ठीक होने का है। धीरे-धीरे काले निशान फैलते जायेंगे और सफेदी खत्म होती जायेगी। त्वचा का रंग सामान्य होता जाएगा। सफेद दाग त्वचा पर क्यों होते हैं इसका कोई विशेष कारण साफ-साफ पता नहीं चला है। मगर फिर भी कुछ कारण ऐसे है जिनकी वजह से सफेद दाग होते हैं व तेजी से फैलते भी हैं जैसे- *विरोधी भोजन लेने से। दूध व मछली साथ-साथ न लें।*शरीर का विषैला तत्व (Toxic) बाहर निकलने से न रोकें जैसे- मल, मूत्र, पसीने पर डीयो न लगायें। *मिठाई, रबडी, दूध व दही का एक साथ सेवन न करें।*गरिष्ठ भोजन न करें जैसे उडद की दाल, मांस व मछली। *भोजन में खटाई, तेल मिर्च,गुड का सेवन नकरें।*अधिक नमक का प्रयोग न करें।*ये रोग कई बार वंशानुगत भी होता है।*रोज बथुआ की सब्जी खायें, बथुआ उबाल कर उसके पानी से सफेद दाग को धोयें कच्चे बथुआ का रस दो कप निकाल कर आधा कप तिल का तेल मिलाकर धीमी आंच पर पकायें जब सिर्फ तेल रह जाये तब उतार कर शीशी में भर लें। इसे लगातार लगाते रहें । ठीक होगा धैर्य की जरूरत है।*अखरोट खूब खायें। इसके खाने से शरीर के विषैले तत्वों का नाश होता है। अखरोट का पेड़ अपने आसपास की जमीन को काली कर देती है ये तो त्वचा है। अखरोट खाते रहिये लाभ होगा।*रिजका (Alfalfa) सौ ग्राम, रिजका सौ ग्रा ककडी का रस मिलाकर पियें दाद ठीक होगा।*लहसुन के रस में हरड घिसकर लेप करें तथा लहसुन का सेवन भी करते रहने से दाग मिट जाता है। *छाछ रोजना दो बार पियें सफेद दाग ठीक हो सकता है।*लहसुन के रस में हरड को घिसकर कर लेप करें साथ साथ सेवन भी करें। *पानी में भीगी हुई उडद की दाल पीसकर सफेद दाग पर चार माह तक लगाने से दाद ठीक हो जायेगा।* हल्दी एक औषधि है। इससे त्वचा रोग में फायदा होता है। सौ ग्राम हल्दी, चार सौ ग्राम स्पिरिट (स्प्रिट) लेकर मिलायें और खाली शीशी में भर कर रख दें धूप में दिन में कम से कम तीन बार हिलायें जोर-जोर से। ये टिंचर का का करेगा दिन में तीन बार शरीर पर लगायें। हल्दी गर्म दूध में डालकर पियें छः महीने कम से कम। *तुलसी का तेल बनायें, जड़ सहित एक हरा भरा तुलसी का पौधा लायें, धोकर कूटपीस लें रस निकाल लें। आधा लीटर पानी आधा किलो सरसों का तेल डाल कर पकायें हल्की आंच पर सिर्फ तेल बच जाने पर छानकर शीशी में भर लें। ये तेल बन गया अब इसे सफेद दाग पर लगायें। *नीम की पत्ती, फूल, निंबोली, सुखाकर पीस लें प्रतिदिन फंकी लें।सफेद दाग के लिये नीम एक वरदान है। कुष्ठ जैसे रोग का इलाज नीम से सर्व सुलभ है। कोई बी सफेद दाग वाला व्यक्ति नीम तले जितना रहेगा उतना ही फायदा होगा नीम खायें, नीम लगायें ,नीम के नीचे सोये ,नीम को बिछाकर सोयें, पत्ते सूखने पर बदल दें। पत्ते,फल निम्बोली,छाल किसी का भी रस लगायें वएक च. पियेंभी।जरूर फायदा होगा कारण नीम खु में एक एंटीबायोटिक है।ये अपने आसपास का वातावरण स्वच्छ रखता है। इसकी पत्तियों को जलाकर पीस कर उसकी राख इसी नीम के तेल में मिलाकर घाव पर लेप करते रहें। नीम की पत्ती, निम्बोली ,फूल पीसकर चालीस दिन तततक शरबत पियें तो सफेद दाग से मुक्ति मिल जायेगी। नीम की गोंद को नीम के ही रस में पीस कर मिलाकर पियें तो गलने वाला कुष्ठ रोग भी ठीक हो सकता है।

भोजन में किसके साथ क्या न खायें ?

मांस व दूध साथ-साथ सेवन न करें।* दही गर्म करके व गर्म चीजों के साथ न खायें।* खिचड़ी के साथ खीर, मट्टा के साथ बेल फल कभी न खायें।* कांसे के बर्तन में दस दिन तक रखा घी नहीं खाना चाहिए। * पका हुआ खाना, ठंडा काढ़ा फिर से गरम करके सेवन नहीं करना चाहिए।* अनेक प्रकार के मांस एक साथ नहीं पकाना चाहिए। * करेला के साथ दही व दूध वर्जित है। * सरसों के तेल में कबूतर का मांस नहीं पकाना चाहिए।* मछली के साथ गुड या शहद नहीं खाना चाहिए।* उडद दाल अधिक गरमी में नहीं सेवन करना चाहिए।* सरसों का साग सिर्फ ठंड में ही खाना चाहिए।

अजवायन

*अजवायन से कैलशियम,फासफोरस,लोहा सोडियम व पोटेशियम जैसे तत्व मिलते हैं।*अजवायन प्रबल कीटनाशक है। यह पेट में सड़न रोकने वाली सभी औषधियों में उत्तम है।*प्रसूति स्त्रियों को अजवायन व गुड मिलाकर देने से भूख बढ़ती है।*प्रसव उपरांत इसका प्रयोग गर्म शोधक होता है। प्रसूति ज्वर व कमर का दर्द ठीक करता है। गर्भाशय की गंदगी साफ करती है। गर्भाशय पूर्वास्थिती में आ जाता है। दूध ज्यादा उतरता है।*पाचन के लिये अजवायन बहुत महत्वपूर्ण है। पेट दर्द, अफारा, कफवात,बवासीर आदि में बहुत हितकारी है।*अजवायन को सरसों के तेल में डाल कर पकायें उससे बच्चों को सर्दीजुकाम में तथा प्रसव उपरांत मालिश करें लाभ होगा।*दोपहर को भोजन के उपरांत चौथाई चम्मच पिसी अजवायन फांक लेने से खाना आसानी से हजम हो जाता है।*अजवायन को पान में रखकर खाने से पुरानी खांसी ठीक होती है।*यदि किसी के पैर में कांटा चूभा हो, तो अजवायन गुड मिलाकर बांधने से कांटा अपने आप निकल जाएगा।

शक्तिवर्धक फल और सब्जियां

1. नींबूः उबले हुए एक गिलास पानी में एक नींबू निचोड़ कर पीते रहने से शरीर के अंग में नयी स्फूर्ति का अनुभव होता है। नेत्रों की ज्योति बढ़ती है। मानसिक दुर्बलता दूर होती है। अधिक काम करने से भी थकावट नहीं आती है। ये नींबू पानी बिना चीनी-नमक के एक-एक घूट पीना चाहिए। अधिक बीमारी के बाद खाना खाने से कहीं ज्यादा नींबू पानी से स्फूर्ति आती है। पर रोज-रोज नहीं लेना चाहिए,आपका मोटापा कम हो जाएगा।2. एक कप उबला पानी में एक चुटकी सेंधा नमक,एक चुटकी काला नमक, एक चम्मच चीनी, दस बूंद नींबू का रस, भूना हुआ जीरा चौथाई चम्मच मिलाकर पिये। इसे चाय की जगह पर पी सकते है, यह पाचन शक्ति, शारीरिक शक्ति बढ़ता है। बीच-बीच में पीते रहे रोज सुबह शाम नहीं।3. सेबः सेब में एसिड होता है। यह आंतों, यकृत व मस्तिक के लिये उपयोगी है। इसमें फॉसफोरस होता है, जो पेट साफ करता है। सेब, विटामिन व खनिज से भरपूर है।सेब काटकर उस पर उबलता पानी डालें जब पानी ठंडा हो जाये, तो सेब को मसल कर उसका शर्बत बनाये मिठास लाने के लिये मिश्री डालें। यह शरीर को शक्ति व स्फूर्ति देता है। गठिया रोग में दो सेब रोज खायें।4. पपीताः अच्छा पका हुआ पपीता ही खाना गुणकारी है। खाली पेट पपीता खाना ज्यादा लाभदायक होता है। इसके बाद दोपहर को भोजन के बाद पपीता खाने से भोजन ठीक से हजम हो जाता है। पपीता सेवन से रक्तवाहिनी शिराये कठोर नहीं होती रक्त सुचारु रूप से रहता है। ह्दय रोग में सबसे ज्यादा लाभदायक है।5. आमः आम खाने से रक्त बहुत पैदा होता है। दुबले लोगों का वजन बढ़ता है। शरीर में स्फूर्ति आती है।6. अंगूरः ताजे अंगूर का रस कमजोरी को दूर करता है। यह रक्त बनाता है और रक्त पतला करता है। आपको मोटा करता है। श्वेत प्रदर में लाभ होता है। गर्भ का बच्चा स्वस्थ्य व बलवान होता है। शरीर को आयरन(Iron) मिलता है।7. मोनक्काः सर्दी के मौसम में मोनक्का लाभप्रद है। बीस मोनक्का गरम पानी में धोकर रात को भिगो दें। प्रातः पानी पीले तथा इसे खा लें। इसे नित्य प्रयोग करने से रक्त व शक्ति उत्पन्न होती है। दुर्बल और कमजोर रोगी को मोनक्का का पानी रोज पिलाये।8. आंवलाः इससे सारे रोगों को दूर करने की शक्ति होती है। आंवला युवक को यौवन प्रदान करता है। इसमें विटामिन-सी सर्वाधिक होता है। एक आंवला दो संतरे के बराबर होता है। आंवला शक्ति का भंडार है। आंवला किसी प्रकार भी खाये स्वास्थ्य के लिये अच्छा होता है।9. केलाः भोजन के बाद केला खाने से ताकत मिलती है। मांसपेशियां मजबूत होती है। वीर्यवर्धक होता है। केला फल नहीं है। इसे रोटी की जगह खाना चाहिए। एक समय में तीन से अधिक केले नहीं खाना चाहिये। ताजा केला खाना सर्वोत्तम है। प्रातः दो केले पर थोड़ा सा घी लगाकर खाकर ऊपर से दूध पीयें। इससे शरीर पुष्ठ रहता है।10. अमरूदः इसमें विटामिन-सी 300 से 450 मिग्रा तक होता है। ह्दय को बल, शरीर को स्फूर्ति देता है।11. छुआराः इससे कैलशियम बहुत मिलता है। इसे खाकर ऊपर से दूध पीने से हड्डियों के सभी रोगों से निजात मिलता है।12. गाजरः रोज आधा गिलास शहद मिलाकर गाजर का रस पीने से कमजोरी दूर होती है। रक्त बढ़ता है।13. मूलीः गन्धक, पोटाश, आयोडीन, कैल्शियम, लोहा, फॉसफोरस, मैग्निशियम, क्लोरीन मूली में बहुतायत पाया जाता है। एक मूली रोज खाने से हड्डियां मजबूत होगी। ह्दय शक्तिशाली रहेगा।14. टमाटरः प्रातः नाश्ते में एक ग्लास टमाटर का रस में थोड़ा सा शहद मिलाकर पिये। चहेरा टमाटर की तरह लाल हो जायेगा। स्मरण शक्ति बढ़ती है। हाईब्लड प्रेशर घटता है। भूख बढ़ती है। खून बढ़ाता है। रक्त में लाल कणों को बढ़ाता है। टमाटर में लोहा दुगना पाया जाता है। बच्चे को टमाटर का रस पिलाने से बलवान हष्टपुष्ट रहते हैं। बड़ी आंतों को ताकत देता है। उनके घाव को दूर करता है।15. आलूः आलुओं में मुर्गों के चूजों जैसी प्रोटीन होती है। बड़ी आयु वालों के लिये भी प्रोटीन होती है, छोटे बच्चे जो भोजन नहीं कर सकते उन्हें आलू उबाल कर या खिचड़ी में पकाकर देना चाहिये। इसमें भरपूर मात्रा में प्रोटीन व विटामिन-सी होताहै.16. लहसुनः दिन में तीनों बार खाने के साथ खाने से बल बढ़ता है। पाचन शक्ति ठीक होती है। प्रातः चार दाने खाकर दूध पीने से वीर्य बढ़ता है। नपुंसकता जाती है। यदि लहसुन नियमित खायें तो बुढापा जल्दी नहीं आता। झुर्रियां नहीं पड़ती हैं क्योंकि धमनियों के सिकुडने से झुर्रियां पड़ती, त्वचा पर चमक आती है, रक्तचाप कंट्रोल करता है।17. मूंगफलीः इसमें प्रोटीन व चिकनाई अधिक मात्रा में पाई जाती है। इसकी चिकनाई घी से मिलती जुलती होती है। मूंगफली खाने से दूध बादाम घी की कमी पूरी होती है। अण्डे के बराबर प्रोटीन पाई जाती है। यह गर्म होती है इसलिए सर्दियों में खाना चाहिये, गरम प्रकृति के व्यक्तियों के लिये हानिकारक है ज्यादा खाने से पित्त बढ़ता है। गर्भावस्था में नित्य मूंगफली खाने से शिशु की प्रगति में लाभ होता है। कच्ची मूंगफली खाने से दूध पिलाने वाली माताओं को दूध बढ़ता है। सर्दियों में सूखापन आता हो तो मूंगफली के तेल, गुलाब जल मिलाकर मालिश करें। सूखापन दूर होता है। मुठ्ठी भर मूंगफली तमाम पोषक तत्वों को पूरा करती है।

बथुआ में आयरन

सर्दी के मौसम में आसानी से उपलब्ध बथुए के साग को भोजन में अवश्य सम्मिलित करना चाहिए ,बथुए के पतों का साग पराठे,रायता बनाकर या साधारण रूप में प्रयोग किया जाता है कब्ज़ में बथुआ अत्यंत गुणकारी है,अतः जो कब्ज़ से अक्सर परेशां रहते है उन्हें बथुए के साग का सेवन अवश्य करना चाहिए पेट में वायु हो गोला और इससे उत्पन्न सिरदर्द में भी यह आरामदायक है, आँखों में लाली हो या सुजन बथुए के साग के सेवन से लाभ होता है इसके अलावा चरम रोग ,यकृत विकार में भी बथुए के साग के सेवन से लाभ होता है बथुआ रक्त को शुद्ध कर उसमे वृद्धि करता है बुखार और उष्णता में इसका उपयोग बहूत ही कारगर होता है यह आयरन और कैल्सियम का अजस्त्र भंडार है औरतों को आयरनो तथ रक्त बढाने वाले खाद्यपदार्थ की ज्यादा जरूरत होती है अतः उन्हें इसके साग का सेवन विशेष रूप से करना चाहिए खनिज लवणों की प्रचुरता से यह हरा साग-सब्जियां ,शरीर की जीवन शक्ति को बढाने खास लाभकारी होता है इसकी पतियों का रस ठंढी तसिरयुक्त होने के कारण बुखार, फेफड़ों एवं आँतों की सुजन में फायदेमंद है बथुए के रस बच्चों को पिलाने से उनका मानसिक विकाश होता है, बथुए का १०० ग्राम रस निकल कर पीने से पेट के कीड़े मर जाते है रस में थोडा-नमक मिलाकार पीने से पेट के कीड़े मर जाते है रस में थोडा सा नमक मिलाकर इससे ७ दिनतक सेवन करना चाहिये ५० ग्राम बथुए को एक ग्लास पानी में उबल-मसल कर छान कर पीने में स्त्रियों के मानसिक धर्म के गर बड़ी दूर होती है "( पथरी के रोगीओं को बथुए के साग का सेवन नहीं करना चाहिये ,क्युकी इसमें लौह तत्व अधिक होने के कारन पथरी का निर्माण होता है "बथुए के औषधीय महता :-----------बथुए के सेवन अनेक प्रकार के रोगों के निवारण के लिए भी इसका प्रयोग घरेलु औषधि के रूप में भी किया जाता है :- जैसे१. रक्ताल्पता :-- शरीर में रक्त की कमी पर बथुए का साग कुछ दिनों तक करने अथवा इसे आटे के साथ गुन्धकर रोटी बनाकर खाने से रक्त की वृद्धि होती है 2.त्वचा रोग :--- रक्त को दूषित हो जाने से त्वचा पर चकते हो जाते है ,फोड़े,फुंसी निकल आती है ऐसे में बथुए के साग के रक्त में मुल्तानी का लेप बनाकर लगाने से आराम मिलता है साथ में बथुए का साग बनाकर या रस के रूप में सेवन करना चाहिये इससे रक्त की शुद्धि होती है और त्वचा रोगों से छुटकारा मिलता है 3.फोड़ा :- बथुए की पतियों को सोंठ व नमक के साथ पीसकर फोड़े पर बांधने से फोड़ा पककर फुट जाएगा या बैठ जायेगा ४. पीलिया :- कुछ दिनों तक बथुए का साग खाने या सूप बनाकर पीने से पीलिया ठीक हो जाता है ५. पीड़ारहित प्रसव :- बथुआ के १० ग्राम बीजों को कूटकर ५०० मिलीलीटर पानी में मिलाकर उबाले, जब आधा पानी रह जाए तो उतारकर छानकर पियें ,डेलिवरी से २० दिन के पहले से इसका प्रयोग करना चाहिए इसमें बच्चा बिना ओपेरेसन के पैदा हो रहे है और प्रसव पीड़ा भी कम हो जाती है 6.उदार कृमी : - इसके सेवन से पेट के कृमी स्वत मर जाती है 7.जुआं और लीख :- बथुए की पतियों को उबालकर उस उबले हुए पानी से सिर धोने से सिर के सारे जुएँ ख़त्म हो जाते है 8.अनियमित मासिक धर्म :- ५० ग्राम बथुआ की एक ग्लास पानी में उबाल-छानकर नियमित कुछ दिनों तक पीने से तथा उसकी सब्जी बनाकर खाने से बथुआ की सब्जी हमेसा कुकड में बिना मिर्च मसाला के बनाकर खाना चाहिये

Tuesday, February 23, 2010

दाग धब्बे छुड़ाने की विधियाँ

दाग धब्बे छुड़ाने की विधियाँ
हमारे दैनिक जीवन में वस्त्र बहुत आवश्यक हैं और उनसे भी आवश्यक है उनकी देखभाल। वस्त्रों को कितनी ही सावधानी से रखा जाये लेकिन उन पर दाग-धब्बे लग ही जाते हैं जो वस्त्रों की सुन्दरता को खराब कर देते हैं। कपड़ों पर दाग किसी वाह्य वस्तु के संपर्क में आने से लगते हैं। कुछ धब्बे तो पानी व साबुन के प्रयोग से धोकर ही छूट जाते हैं लेकिन कुछ धब्बों को रसायनों के प्रयोग से छुड़ाया जाता है। धब्बों को छुड़ाने की विधि धब्बे की प्रकृति व वस्त्र में मिश्रित तत्व एवं रंग पर निर्भर करती है। धब्बे की प्रकृति धब्बे को देखकर, छूकर, सूँघकर व उसके रंग के अनुसार पता की जा सकती है। कपड़ों पर पड़ने वाले धब्बों की प्रकृति के आधार पर उनको निम्न भागों में बाँटा गया है:- 1) जीव-जन्तुओं से उत्पन्न धब्बे 2) वनस्पतियों द्वारा लगे धब्बे 3) ग्रीस के धब्बे 4) रंग के धब्बे 5) खनिज पदार्थों के धब्बे
1) जीव-जन्तुओं से उत्पन्न धब्बे :इस प्रकार के धब्बे दूध, अंडे, खून व माँस के लग जाने से लगते हैं। इन सब चीजों में प्रोटीन की मात्रा पायी जाती है इसलिए इन धब्बों को हटाते समय अधिक गर्म पानी का प्रयोग नहीं करना चाहिए।
2) वनस्पतियों द्वारा लगे धब्बे :ये धब्बे चाय, कॉफी, फल व सब्जी द्वारा लगते हैं। इन धब्बों को हटाने के लिए क्षारीय पदार्थ की आवश्यकता होती है।
3) ग्रीस के धब्बे :ग्रीस के धब्बे के अन्तर्गत मक्खन, तेल, पेन्ट व कोलतार के धब्बे आते हैं। इन धब्बों को छुड़ाते समय ऐसे रसायनों का प्रयोग करना चाहिए जिसमें ग्रीस आसानी से घुल जाये या ऐसे पाउडर इस्तेमाल करें जैसे चॉक, टेलकम पाउडर, चोकर इत्यादि जो धब्बे को सोख लें।
4) रंग के धब्बे :रंग अम्लीय व क्षारीय दोनों प्रकृति के होते हैं। इसलिए इनको छुड़ाने के लिए इनकी प्रकृति के अनुसार ही रसायन का प्रयोग करना चाहिए।
5) खनिज पदार्थों के धब्बे :खनिज पदार्थों से लगे धब्बे में लोहे, स्याही व दवाइयों के धब्बे आते हैं। इन धब्बों में सबसे पहले अम्ल का प्रयोग करें व बाद में अम्ल को उदासीन करने के लिए क्षार का प्रयोग करें।
धब्बे छुड़ाते समय दो आवश्यक बातें ध्यान रखनी चाहिएः 1) कपड़े का रंग व संगटन। 2) धब्बे की प्रकृति व उम्र।
सामान्य निर्देश :1) हो सके तो धब्बों को ताजी अवस्था में ही शीघ्र छुड़ा लें। 2) कपड़े से दाग या धब्बे छुड़ाते समय कपड़े व धब्बे की प्रकृति के अनुसार ही रसायनों का प्रयोग करें। 3) अगर धब्बे की प्रकृति ज्ञात न हो तो सर्व प्रथम कम हानिकारक प्रक्रिया का प्रयोग करें अगर फिर भी दाग न छूटें तो तेज रसायनों का क्रमबद्ध तरीके से प्रयोग करें -- सबसे पहले वस्त्र को ठंडे पानी में भिगोयें। - उसके बाद गरम पानी में भिगोयें। - उसे खुली हवा में डाल दें। - किसी क्षारीय घोल का प्रयोग करें। - अम्लीय घोल का प्रयोग करें। - अगर दाग फिर भी न छूटे तो ब्लीच का प्रयोग करें। 4) रसायनों को सफेद या सूती लिनन के वस्त्र के ऊपर फैला दें व फिर उसके ऊपर गरम पानी डालें। 5) रंगीन लिनन, ऊन, रेशम व रेयॉन पर केवल घोलों का ही प्रयोग करें। 6) कपड़ों पर रसायन केवल उतनी देर तक ही रखना चाहिए जब तक धब्बा पूर्णतया छूट न जाये, इससे अधिक प्रयोग करने पर कपड़े का रंग खराब होने व फटने का भय रहता है। 7) दाग छुड़ाने के लिए स्पॉजिंग विधि का प्रयोग करें, इस विधि में धब्बे को बाहर से अन्दर की तरफ मलें ताकि वह और न फैले। 8) धब्बे को खुली हवा या खिड़की के पास ही छुड़ायें जिससे कि उत्पन्न होने वाले रसायन कमरे में न फैलें व बाहर निकल सकें। 9) ज्वलनशील रासायनिक पदार्थो जैसे एल्कोहॉल, पेट्रोल, स्प्रिट व बैन्जीन आदि का प्रयोग करते समय आग से बचने के लिए सावधानी रखें। विभिन्न धब्बे छुड़ाने की विधियाँ
क्र०सं०
दाग धब्बे
स्थिति
सफेद सूती एवं लिनन का कपड़ा
1.
स्याही
ताजा
1. दाग पर कटा टमाटर व नमक तब तक रगड़े जब तक दाग हट न जाए। 2. मट्ठे या दही में कपड़े को आधे घण्टे तक भिगोकर पानी एवं साबुन से धो दें। 3. नमक एवं नीबू का रस दाग पर लगाकर आधे घण्टे छोड़ दें। फिर साबुन एवं पानी से धोएँ।


सूखा
1. उपर्युक्त पहली एवं दूसरी प्रक्रिया को अधिक समय तक प्रयोग करें। 2. तनु ऑक्जेलिक एसिड में भिगोकर तनु बोरेक्स के घोल में धोकर निकाल लें।
2.
स्याही (बॉल प्वाइंट पेन)

दाग के नीचे ब्लॉटिग पेपर लगाकर मिथाइलेटेड स्प्रिट डालें।
3.
जंग

ऑक्जेलिक एसिड के घोल में भिगोकर तनु बॉरेक्स के घोल में धोएँ।
4.
लिपस्टिक

मिथाइलेटेड स्प्रिट में भिगोकर साबुन से धोएँ।
ग्लिसरीन में आधा घण्टा भिगोने के बाद धब्बे को साबुन व पानी से धोएँ।
5.
मिट्टी

सूखने दें एवं ब्रश से रगड़कर हटाएँ। साबुन व पानी से धोएँ। यदि दाग फिर भी रह जाए तो पोटैशियम परमैग्नेट तथा ऑक्जेलिक एसिड के घोल में धोएँ।
6.
नेलपेन्ट

रूई की सहायता से एमाइल एसिटेट को दाग लगे भाग पर लगाए। इस विधि का प्रयोग एसीटेट रेयॉन के कपड़े पर नहीं करना चाहिए।
7.
ऑयल पेन्ट तथा वॉर्निश

कैरोसीन में भिगोकर साबुन से धोएँ।
एल्कोहल में भिगोकर साबुन से धोएँ।
8.
बूट पॉलिश

1. यदि दाग सूखा हो तो खुरच कर निकाल दें। थोड़ी ग्रीस लगाकर गर्म पानी एवं साबुन से धो लें। 2. तारपीन के तेल में भिगोकर साबुन से धो लें।
9.
पसीने के दाग

ठंड़े पानी में भिगोएँ।
तनु अमोनिया के घोल में भिगोएँ।
दाग को गीला करके धूप से इसका विरंजन करें। जब तक दाग न छूटे उसे गीला ही रखना चाहिए।
जैवेल वॉटर से विरंजन करें।
10.
पेय पदार्थ (चाय, कॉफी)
ताजा
गर्म पानी को दाग पर डालें।
सूखा
बोरेक्स पाऊडर और गर्म पानी को दाग पर डालें।
ग्लिसरीन मे तब तक भिगोएँ जब तक कि दाग छूट न जाए। यदि फिर भी दाग न जाए तो जैवेल वॉटर से विरंजन करें।
11.
खून (प्रोटीन)
ताजा
ठंडे पानी में भिगोकर तनु अमोनिया में धोएँ।
सूखा
नमक व ठंडे पानी में तब तक भिगोएँ जब तक कि दाग हट न जाए।
12.
कत्था एवं पान का दाग
ताजा
पहले तनु पोटैशियम परमैग्नेट का घोल डालें बाद में सोडियम बाइसल्फेट डालें तथा धोएँ।
सूखा
सौलवेन्ट साबुन से धोएँ।
13.
करी (ग्रीस एवं हल्दी)

पानी एवं साबुन के साथ धोएँ।
धूप एवं हवा में विरंजन करें।
जैवेल वॉटर से विरंजन करें।
14.
मोम
ठोस
जितना संभव हो उतना बिना धार वाले चाकू से खुरच कर निकालें।
दाग पर ब्लॉटिग पेपर रखकर गर्म इस्त्री से दबाए। बेन्जीन से धोएँ।
15.
फल
ताजा
स्टार्च के घोल को दाग पर लगाकर 1 घण्टे के लिए छोड़ दें। स्टार्च को रगड़ कर हटा दें एवं दाग पर गर्म पानी डालें।
सूखा
नमक अथवा बॉरेक्स पाउडर दाग पर फैलाकर उस पर गर्म पानी डालें। प्रक्रिया को दाग के हटने तक दोहराएँ।
जैवेल वॉटर से विरंजन करें।
16.
घास

मिथाइलेटेड स्प्रिट में भिगोएँ।
साबुन व पानी से धोएँ।
17.
ग्रीस तेल एवं घी
ताजा
साबुन व गर्म पानी से धोएँ।
सूखा
चिकनाई हटाने वाले घुलनशील घोलों का प्रयोग करके साबुन व गर्म पानी से धोएँ।
18.
हल्दी

करी के दाग हटाने की विधियों का प्रयोग करें।
19.
मेंहदी

गर्म दूध में आधे घंटे तक भिगोकर रखें तथा साबुन से धोएँ।

Thursday, February 18, 2010

दूध का upyog

दूध को गुलाब जल में मिलाकर लगाने से त्वचा की रंगत निखरती है। दूध में थोड़ा सा नमक मिलाकर चेहरे पर सुबह-शाम लगाने से मुँहासे दूर होते हैं।बादाम, बेसन, गाजर का रस दूध में मिलाकर उबटन की तरह लगाने से त्वचा में कमनीयता आती है।दूध को पूरे शरीर पर लगाकर रगड़ने से त्वचा में चमक आती है। नाखूनों को सुंदर बनाने के लिए कुछ देर दूध में भिगोकर रखें।बर्तन साफ करने से हाथ खुरदूरे हो जाते हैं, इन पर में दूध में नींबू का रस मिला कर लगाने से आपके हाथ सुंदर होंगे।होंठों का कालापन दूर करने के लिए दूध को होंठ पर प्रतिदिन लगाएँ। आधा चम्मच काला तिल और आधा चम्मच सरसों को बारीक पीसकर दूध में मिलाकर मुँहासे पर निरंतर लगाने से फायदा होता है। चिरौंजी को दूध के साथ पीसकर लगाने से त्वचा चमकदार बनती है।

महेंदी का कंडीशनर

यदि आप कंडीशनर का प्रयोग करना चाहते हैं परंतु इसकी प्रक्रिया आपको झंझट भरी लगती है तो आप आयुर्वेदिक डीप कंडीशनर का प्रयोग 20 दिन में एक बार करें। आप इस कंडीशनर को स्वयं घर पर झटपट बना सकते हैं तथा 20 मिनट में बालों की डीप कंडीशनिंग कर सकते हैं। निर्माण विधि एवं प्रयोग विधि- आधा कटोरी हरी मेहँदी पावडर लें। इसमें गर्म दूध (गाय का) डालकर पतला लेप बना लें। इसी लेप में एक बड़ा चम्मच आयुर्वेदिक हेयर ऑइल डालें। इसे अच्छी तरह से मिला लें। जब यह लेप ठंडा हो जाए तब बालों की जड़ों में लगाएँ। 20 मिनट छोड़कर आयुर्वेदिक शैंपू पानी में घोलकर बालों को धो लें। इस डीप कंडीशनर द्वारा आपके बालों को पोषण भी मिलेगा एवं उसमें बाउंस (लोच) भी आ जाएगा।

गर्भवती महिला की सुरक्षा

गर्भवती महिला को अपने गर्भ की सुरक्षा के लिए हरसंभव प्रयास करना चाहिए। यदि आपका गर्भ सुरक्षित है, तब भी आप यहाँ दिए गए प्रयोग कर लाभ उठा सकती हैं। प्रथम मास में गर्भिणी स्त्री को मिश्री मिला दूध दोनों समय अवश्य पीना चाहिए। दूसरे मास में शतावरी का चूर्ण 10 ग्राम मात्रा में फांककर ऊपर से कुनकुना गर्म मीठा दूध पीना चाहिए। तीसरे मास में ठंडे दूध में 1 चम्मच घी तथा तीन चम्मच शहद डालकर पीना चाहिए। यह उपाय आठवें माह तक करें। घी व शहद समान मात्रा में नहीं लेना चाहिए,क्योंकि यह जहरीला हो सकता है।पूरे चौथे मास में दूध में मक्खन मिलाकर सेवन करें। पाँचवें मास में फिर दूध में घी लें। छठे तथा सातवें मास में फिर शतावरी चूर्ण डालकर दूध का सेवन करें।
आठवें मास में दलिया बनाकर, दूध डालकर सेवन करना चाहिए। नौवें मास में शतावरी साधित तेल 50 ग्राम लेकर रात को एनिमा हर तीसरे दिन लेना चाहिए। तीसरे मास से लेकर आठवें मास तक दोनों समय एक बड़ा चम्मच सोमघृत दूध में मिलाकर सेवन करना चाहिए।

प्याज का उपयोग

कान बहता हो, उसमें दर्द या सूजन हो तो प्याज तथा अलसी के रस को पकाकर दो-दो बूँदें कई बार कान में डालने से आराम मिलता है। यदि कोई अंग आग से जल गया हो तो तुरंत प्याज कूटकर प्रभावित स्थान पर लगाना चाहिए। विषैले कीड़े, बर्र, कनखजूरा और बिच्छू काटने पर प्याज को कुचलकर उसका लेप लगाना चाहिए। बिल्ली या कुत्ते के काटने पर रोगी को डॉक्टर के पास जाने तक प्याज और पुदीने के रस को तांबे के बर्तन पर डालकर प्रभावित स्थान पर लगाइए इससे विष उतर जाएगा। हिस्टीरिया या मानसिक आघात से यदि रोगी बेहोश हो गया हो तो उसे होश में लाने के लिए प्याज कूटकर सुँघाएँ इससे रोगी तुरंत होश में आ जाता है। मूत्राशय की पथरी को दूर करने के लिए रोगी को प्याज के रस में शकर डालकर शर्बत बनाकर पिलाएँ। ऐसा शर्बत नियमित रूप से पिलाने से पथरी कट-कटकर निकल जाती है। इस दौरान रोगी को टमाटर, साबुत मूँग तथा चावल न खाने दें। रोगी को भोजन के साथ एक खीरा खाने को दें। साथ ही रोगी को खूब पानी पीने के लिए कहें। किसी नशे में धुत व्यक्ति को यदि एक कप प्याज का रस पिला दिया जाए तो नशे का प्रभाव काफी कम हो जाता है।

स्वाइन फ्लू

थायमॉल, मेंथॉल, कैंफर (कपूर) को बराबर मात्रा में मिला कर तैयार 'यू वायरल' के घोल की बूँदों को अगर रुमाल या टिश्यू पेपर पर डालकर लोग सूंघें तो भीड़ में मास्क पहन कर जाने की जरूरत नहीं पड़ेगी। पान के पत्ते पर दवा की तीन बूँदें डालकर 5 दिन तक दिन में दो बार खाने पर स्वाइन फ्लू से बचाव हो सकता है। 100 मि.ली. पानी में तीन ग्राम नीम, गिलोय, चिरैता के साथ आधा ग्राम काली मिर्च और एक ग्राम सोंठ का काढ़ा बना कर पीना भी काफी लाभदायक रहता है। इन चीजों को पानी के साथ तब तक उबालना है जब तक वह 60 मिली ग्राम न रह जाए। इसे एक सप्ताह के लिए रोज सुबह खाली पेट पीने पर स्वाइन फ्लू से लड़ने के लिए शरीर में जरूरी परिरक्षण क्षमता (इम्यूनिटी) पैदा हो जाएगी। त्रिफला, त्रिकाटू, मधुयास्ती और अमृता को समान मात्रा में लेकर उसे एक चम्मच लेने से प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है। इससे बुखार भी कम होता है। इस दवा को खाना खाने के बाद दो बार लेने से फायदा होगा।

हल्दी का उपयोग

पेट में कीड़े होने पर 1 चम्मच हल्दी पाउडर रोज सुबह खाली पेट एक सप्ताह तक ताजा पानी के साथ लेने से कीड़े खत्म हो सकते हैं। चाहें तो इस मिश्रण में थोड़ा नमक भी मिला सकते हैं। इससे भी फायदा होगा।चेहरे के दाग-धब्बे और झाइयाँ हटाने के लिए हल्दी और काले तिल को बराबर मात्रा में पीसकर पेस्ट बनाकर चेहरे पर लगाएँ। हल्दी-दूध का पेस्ट लगाने से त्वचा का रंग निखरता है और आपका चेहरा खिला-खिला लगता है।खाँसी होने पर हल्दी की छोटी गाँठ मुँह में रख कर चूसें। इससे खाँसी नहीं उठती। त्वचा से अनचाहे बाल हटाने के लिए हल्दी पाउडर को गुनगुने नारियल तेल में मिलाकर पेस्ट बना लें। अब इस पेस्ट को हाथ-पैरों पर लगाएँ। इसे त्वचा मुलायम रहती है और शरीर के अनचाहे बाल भी धीरे-धीरे हट जाते हैं। सनबर्न की वजह से त्वचा झुलसने या काली पड़ने पर हल्दी पाउडर, बादाम चूर्ण और दही मिलाकर प्रभावित स्थान पर लगाएँ। इससे त्वचा का रंग निखर जाता है और सनबर्न की वजह से काली पड़ी त्वचा भी ठीक हो जाती है। यह एक तरह से सनस्क्रीन लोशन की तरह काम करता है। मुँह में छाले होने पर गुनगुने पानी में हल्दी पाउडर मिलाकर कुल्ला करें या हलका गर्म हल्दी पाउडर छालों पर लगाएँ। इससे मुँह के छाले ठीक हो जाते हैं। चोट-मोच, मांसपेशियों में खिंचाव या अंदरूनी चोट लगने पर हल्दी का लेप लगाएँ या गर्म दूध में हल्दी पाउडर डालकर पीएँ।

आवंला

रोज सुबह खाली पेट एक चम्मच आँवले का पावडर पानी में घोलकर पी लें। इससे रक्त में कोलेस्ट्रॉल का स्तर स्थिर रहता है। डायबिटीज यानी मधुमेह तब होती है जब पैंक्रियाज ग्रंथि रक्त शर्करा के स्तर को नियमित रखने में असफल हो जाती है। यदि आपको मधुमेह जैसी राजशाही बीमारी ने घेर रखा है तो आप आँवले के गुणकारी एंटीऑक्सीडेंट्स पर भरोसा रख सकते हैं। आँवला, जामुन और करेले का पावडर एक चम्मच प्रतिदिन दोनों समय लें। इससे मधुमेह को निंयत्रित करने में मदद मिलेगी। आधुनिक जीवनशैली की एक और देन है एसिडिटी। हममें से सभी कभी न कभी इसके शिकार हुए हैं। तीव्र या असाध्य एसिडिटी हो तो एक ग्राम आँवले का पावडर दूध या पानी में शक्कर के साथ मिलाकर दोनों समय पिएँ।

घेरलू nuskhe

साँस फूलने पर दही की कढ़ी में देसी घी डालकर कुछ दिन खाएँ।लू से छुटकारा पाने के लिए मिश्री के शरबत में एक कागजी नीबू निचोड़कर पीएँ।काँच या कंकर खाने में आने पर ईसबगोल भूसी गरम दूध के साथ तीन समय सेवन करें।घाव न पके, इसलिए गरम मलाई (जितनी गरम सहन कर सकें) बाँधें।तुतलापन दूर करने के लिए रात को सोने से पाँच मिनट पूर्व दो ग्राम भुनी फिटकरी मुँह में रखें।
NDNDबच्चों का पेट दर्द होने पर अदरक का रस, पाँच ग्राम तुलसी पत्र घोटकर, औटाकर बच्चों को तीन बार पिलाएँ।बच्चों के बलवर्धन के लिए तुलसी के चार पत्ते पीसकर 50 ग्राम पानी में मिलाएँ। सुबह पिलाएँ।आमाशय का दर्द हो तो तुलसी पत्र को चाय की तरह औटाकर सुबह-सुबह लेना लाभदायक होता है।

मसाले का उपयोग

सब्जी और मसाले का उपयोग सिर्फ चटपटा खाना बनाने में नहीं बल्कि घरेलू उपचार में किया जा सकता है। आज हम आपको बता रहे हैं कुछ ऐसे घरेलू उपायों के बारे में :-उच्च रक्तचाप में लहसुन और शहद को लेने से रक्तचाप सामान्य होता है।-भुने हुए जीरे को सूंघने से जुकाम में छींके आना बंद हो जाती हैं।-पानी में जीरा को डालकर उबाल लें। फिर इसे छान लें। इस छने पानी से स्नान करने पर खुजली मिटती है।-हिचकी आने पर अदरक का टुकड़ा चूसे।-राई के तेल में नमक मिलाकर मंजन करने से पायरिया से निजात मिलती है।-सूजन में राई का लेप लगाने से आराम मिलता है।-सर्दियों में बादाम को रात में भिगो दें। सुबह घिसकर दूध में डालकर लें। यह दिमाग और त्वचा के लिए फायदेमंद होता है।-अमरूद खाने से कब्ज में फायदा होता है।-प्याज के रस में नींबू का रस मिलाकर पीने से उल्टियां आना बंद हो जाती हैं।-अमरूद को काले नमक, जीरा और नींबू का रस मिलाकर खाएं। इससे मुंह का जायका सुधरता है।-भांग का नशा उतारने के लिए अमरूद खिलाना चाहिए। -रोज सुबह खाली पेट एक चम्मच आंवले का पाउडर पानी में घोलकर पीने से कोलेस्ट्राल को नियंत्रित करने में मदद मिलती है।-खाना खाने के बाद रोजाना सौंफ खाने से सांस तरोताजा रहती है।गुड़ के साथ सौंफ खाने से मासिक धर्म नियंत्रित होता है।रात में सोने से पहले सरसों के तेल को नाभि पर लगाएं। इससे होंठ नहीं फटेंगे।खाने के साथ रोज दो केले खाने से भूख बढ़ती है।प्याज के रस को मस्सों पर लगाने से वे जड़ से गिरने लगते हैं।होंठो का कालापन दूर करने के लिए दूध को होंठो पर लगाए।खांसी में तुलसी की पत्तियों को अदरक व शहद के साथ चाटने पर आराम मिलता है।

Wednesday, February 17, 2010

सौंदर्य

गर्मियों के दिनों में बाजार में मौजूद तमाम तरह के सौन्दर्य प्रशाधन अगर आपकी त्वचा की सही से देखा भाल नही कर परहे है तो हाजिर है कुछ प्रसिद्ध घरेलु नुस्खे जो आप की त्वचा की देख भाल तो करेंगे ही साथ में सौन्दर्य प्रशाधन पर फालतू खर्च होने वाले आप के बहुमूल्य पैसे की बचत भी करेंगे, तो आप नि:संकोच इन घरेलू नुस्खों को अपना सकते है इनका कोई विपरीत प्रभाव (साइडइफेक्ट) भी आप की त्वचा के ऊपर नही पड़ता है .आपके घर में मौजूद गुलाब जल, नींबू, खीरा और दही न सिर्फ आपकी त्वचा को तरो-ताजा रखेंगे बल्कि गर्मियों के दिनों में सूर्य की पारा बैगनी किरणों से होने वाले दुष्प्रभावों से भी बचायेंगे।नेचुरल सनस्क्रीन को बाज़ार से खरीदने अच्छा है की आप घर में रखी चाय की पत्तियों को पानी में उबाल ले और उबले हुए पानी को ठंडा करके इस्तेमाल कर सकती है।यह आपको गर्मियों के दिनों में घर से बाहर निकलने पर आपकी त्वचा को सूर्य की किरणों से जलने से बचाने के साथ ही साथ आपके चेहरे के मेकअप को भी चुस्त दुरुस्त रखता है।एक चमच सौफ को पानी मे अच्छी तरह उबालें। जब पाने गाढा हो जाए तो उतनी मात्रा मे ही शहद मिला लें इसे चेहरे पर लगाने के १० मिनट बाद चेहरा धो लें। झुर्रियां दुर होकर चेहरे पर चमक आएगी।चेहरे पर बादाम के तेल की मालिश करने से आपकी चहरे के रोमकूप खुलते है।शहद को त्वचा पर मलने से नमी नष्ट नही होती । तरबूजे के गूदे को चेहरे व गर्दन पर मलें । थोडी देर बाद इसे ठंडे पानी से धो लें । नियमित करने से चेहरे के दाग दूर होते हैंतुलसी के पत्तों का रस निकाल कर उसमे बराबर मात्रा मे नीबूं का रस मिला कर लगाएं । चेहरे की झांईयां दूर होती है ।चेहरे पर गुलाबी पन लाने के लिए नहाने से पहले कच्‍चे दूध मे निंबू का रस व नमक मिला कर मलें।पश्‍चात चेहरे को थपथपा कर सुखा लें झुर्रियां दुर होंगी।चेहरे, गले व बांहों की त्वचा के लिए नीम की पत्ते व गुलाब के पंखुडियां समान मात्रा मे लेकर 4 गुना मात्रा पानी मे भीगो दें । सुबह इस पानी को इतना उबालें कि पानी एक तिहाई रह जाए । अब यदि पानी 100 मी ली हो, तो लाल चंदन का बारीक चूर्ण 10 ग्राम मिला कर घोल बनाएं व फ़्रिज मे रख दें । एक घंटे बाद इस पानी मे रुई डुबो कर चेहरे पर लगाएं । कुछ मिनट बाद रगड कर चेहरे की त्वचा साफ़ कर लें । अगर आंखों के नीचे काले घेरें हों तो सोते समय बादाम रोगन उंगली से आंखों के नीचे लगाएं और 5 मिनट तक उंगली से हल्के हल्के मलें । एक सप्ताह के प्रयोग से ही त्वचा में निखार आ जाता है और आंखों के नीचे के काले घेरें भी खत्म होते हैं ।शहद मे ज़रा-सी हलदी मिला कर चेहरे पर लगाएं इससे चेहरे की मैल निकलने से चेहरा साफ व ताज़गी भरा बना रहेगा।केले को मैश करके उस मे एक चम्‍मच दूध मिलाएं। इसे चेहरे पर लगा कर ठंडे पानी से छिंटे मारें।

Sunday, February 14, 2010

सामान्य ज्ञान

1. पिछले दिनों आंध्रप्रदेश में किस महिला को राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल ने राज्यपाल पद की शपथ दिलाई।
क. उर्मिला सिंह
ख. ई श्रीनिवास लक्ष्मी
ग. प्रभाकर राव
घ. सरोज पांडे
2. 2008 का इंदिरा गांधी पुरस्कार (नेशनल अवार्ड) किसे मिला?
क. प्रसुन जोशी
ख. सरोज खान
ग. नीरज पांडे
घ. अमोल पालेकर
3. पिछले दिनों किस एयरलाइन ने खुद को दीवालिया घोषित किया?
क. कैथे पैसिफिक एयरलाइंस
ख. पाकिस्तान एयर लाइंस
ग. दुबई एयर लाइंस
घ. जापान एयर लाइंस
4. भारतीय सेना के नए थल सेनाध्यक्ष बनाए गए हैं?
क. शिवशंकर मेनन
ख. विजय कुमार सिंह
ग. विक्रम कोठारी
घ. प्रवीण कुमार
5. 2008 में किस भाषा की फिल्म को सर्वश्रेष्ठ राष्ट्रीय फिल्म का अवार्ड मिला?
क. तमिल
ख. बंगाली
ग. मराठी
घ. हिंदी
6. अंडर 19 व‌र्ल्डकप क्रिकेट मैच में भारत किस देश से हारकर प्रतियोगिता से बाहर हुआ।
क. आस्ट्रेलिया
ख. वेस्ट इंडीज
ग. साउथ अफ्रीका
घ. पाकिस्तान
7. पिछले दिनों किस पत्रकार को प्रसार भारती का अध्यक्ष बनाया गया?
क. शोभा डे
ख. मृणाल पांडे
ग. खुशवंत सिंह
घ. राजीव शुक्ला
8. हाल ही में किस नेता की 113वींजयंती मनाई गई?
क. राममनोहर लोहिया
ख. जयप्रकाश नारायण
ग. नेताजी सुभाषचंद्र बोस
घ. पंडित कमलापति त्रिपाठी
9. पिछले दिनों किस भारतीय मूल की अभिनेत्री को मोस्ट डिजायरेबल वुमन अवार्ड के लिए चुना गया?
क. ऐश्वर्या राय
ख. फ्रीडा पिंटो
ग. प्रियंका चोपडा
घ. पद्मलक्ष्मी
उत्तर: 1. ख, 2. ग, 3. घ, 4. ख,5. ख, 6. घ, 7. ख, 8. ग, 9. घ

सामान्य ज्ञान

1. प्रतिष्ठित साइंस जर्नल नेचर में प्रकाशित एक हालिया शोध के अनुसार, रीढ वाले चौपायों (चार पैर वाले) ने पृथ्वी पर पहली बार 38.5 करोड वर्ष पहले चलना शुरू किया, जो मान्यता प्राप्त वर्तमान थ्योरी से 180 लाख वर्ष पहले है। इस महत्वपूर्ण खोज का क्या महत्व है?
(क) मानव विकास पर नई जानकारी (ख) फिश इवोल्यूशन पर नई जानकारी
(ग) पक्षियों के विकास पर नई जानकारी (घ) ट्रेटापॉड्स के विकास पर नई जानकारी
2. क्या आप बता सकते हैं कि पृथ्वी पर चलने वाले चौपायों का विकास किस जीव से हुआ?
(क) अमीबा (ख) कबूतर
(ग) मछली (घ) इनमें से कोई नहीं
3. पृथ्वी पर चलने वाले चार पैरों वाले जीव के विकास की सबसे महत्वपूर्ण व मान्यताप्राप्त थ्योरी कौन सी है?
(क) फिश-ट्रेटापॉड ट्रांजिशन थ्योरी (ख) बर्ड-ट्रेटापॉड ट्रांजिशन थ्योरी
(ग) ट्रेटापॉड ट्रांजिशन थ्योरी (घ) फिश ट्रांजिशन थ्योरी
4. यूनिवर्सिटी ऑफ कैलिफोर्निया के वैज्ञानिकों ने हाल ही में कृत्रिम मांसपेशियों का विकास किया है, जो उन व्यक्तियों के लिए काफी कारगर साबित होगी, जिनकी पलकें बंद नहीं होतीं। यह कृत्रिम मांसपेशियां मुख्य रूप से बनी हैं।
(क) सिल्वर पॉलीमर से (ख) सिलिकॉन पॉलीमर से
(ग) सल्फर पॉलीमर से (घ) गोल्ड पॉलीमर से
5. कोरियन टाइम्स में प्रकाशित एक हालिया रिपोर्ट के अनुसार, इंजीनियरों ने मानव शरीर जैसी संरचना वाले एक ऐसे वाकिंग रोबोट का निर्माण किया है, जो घर की साफ-सफाई से लेकर खाना गर्म करने का काम आसानी से कर सकता है। यह वाकिंग रोबोट कौन सा है?
(क) मेरु-1 (ख) वाकिंग रोबोट मेल
(ग) मेरु-2 (घ) कोरू वाकिंग रोबोट
6. पिछले दिनों हृदय रोगियों के इलाज हेतु पहली बार हॉलैंड में जीन परिवर्धित खरगोश के दुग्ध का व्यावसायिक उत्पादन शुरू हुआ। इस विशेष दुग्ध से क्या फायदे हैं?
(क) प्रत्यारोपित अंगों को शरीर द्वारा अस्वीकार करने से रोकता है
(ख) धमनियों को संकरा बनाता है
(ग) धमनियों को मजबूत करता है
(घ) शिराओं को मजबूत बनाता है
7. एक हालिया शोध के अनुसार, ग्रीन टी मधुमेह, हाई कोलेस्ट्राल, डिमेंशिया आदि में कारगर होने के साथ ही फेफडे के कैंसर रोकने में मददगार साबित होता है। ग्रीन टी में पाए जाने वाले एंटीऑक्सीडेंट से क्या लाभ हैं?
(क) यह डीएनए को नष्ट होने से रोकता है (ख) यह आरएनए को नष्ट होने से रोकता है
(ग) यह लाल-रक्त कणिका को नष्ट होने से रोकता है
(घ) यह सफेद-रक्त कणिका को नष्ट होने से रोकता है
8. ग्रीन टी में पाया जाने वाला वह कौन सा तत्व है, जो सूजन को कम करने में मदद करता है?
(क) पॉलीफेनॉल्स (ख) मोनोफेनॉल्स
(ग) मल्टीफेनॉल्स (घ) फेनॉल्स
9. यूरोप अपना ग्लोबल पोजीशनिंग सिस्टम (जीपीएस) लगाने जा रहा है, जो विशेषज्ञों के अनुसार अमेरिकी ग्लोबल पोजिशनिंग सिस्टम से बेहतर होगा। यह जीपीएस कब काम करना शुरू कर देगा?
(क) 2015 तक (ख) 2012 तक
(ग) 2013 तक (घ) 2014 तक
10. टेक्नियन यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों ने एक ऐसी शॉकवेव डिवाइस विकसित की है, जो पुरुषों की , नामर्दी ठीक कर सकती है। इस शॉकवेव डिवाइस में इस्तेमाल किया जाता है।
(क) उच्च आवृत्ति की लेजर किरणें
(ख) तीव्र वायु
(ग) उच्च आवृत्ति की प्रकाश तरंगें (घ) उच्च आवृत्ति की ध्वनि तरंगे।
उत्तर-1.(घ), 2.(ग), 3.(क), 4.(ख), 5.(ग), 6.(क), 7.(क), 8.(क), 9.(घ), 10.(घ)

सामान्य ज्ञान

1-इस साल का एशियन टूर इंटरनेशनल का खिताब किसने जीता?
क. सी. मुनियप्पा ख. गगनजीत भुल्लर
ग. अर्जुन अटवाल घ. इसमें कोई नहीं
2-हाल ही में भारत ने उडीसा के एक द्वीप से परमाणु आयुध ले जाने वाले किस मिसाइल का सफल परीक्षण किया?
क. धनुष-1 ख. अग्नि-1
ग. अश्वमेध-1 घ. वायु-1
3-बराक ओबामा ने पिछले दिनों किस भारतीय को कला और मानवता समिति का सदस्य नियुक्त किया?
क. निरूपमा राव ख. झुंपा लाहिडी
ग. बप्पा लाहिडी घ. सुजाता सिंह
4-वर्ष 2009-2010 का दलीप ट्रॉफी विजेता कौन बना?
क. दक्षिण क्षेत्र ख. उत्तर क्षेत्र
ग. पश्चिम क्षेत्र घ. रेलवे
5. पिछले दिनों नेपाल के किस उपराष्ट्रपति को सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर मैथिली में शपथ ग्रहण करनी पडी?
क. गिरिजा कोइराला ख. परमानंद झा
ग. कृष्ण प्रसाद भट्टराई घ. भुवन थापा
6-पिछले दिनों हॉलैंड में संपन्न 33वें इंटरशूट टूर्नामेंट की 10 मीटर एयर राइफल स्पर्धा किसने जीती? क. टीनू मोहाउप्ट ख. शुमा शिरूर
ग. अभिनव बिंद्रा घ. अवनीत सिद्धू
7-अवैध संतान के लिए जनता से माफी मांगने वाले जैकब जुमा किस देश के राष्ट्रपति हैं?
क-वेस्टइंडीज ख. पाकिस्तान
ग. साउथ अफ्रीका घ. घाना
8. अमेरिकन डायरेक्टर ग्रेग हेल्वे की किस भाषा की फिल्म को ऑस्कर के लिए नामांकित किया गया?
क. हिंदी ख. मलयालम
ग. अंग्रेजी घ. चीनी
उत्तर - 1. ख, 2.ख, 3. ख, 4. ग, 5.ख, 6.ग, 7. ग, 8.क

Sunday, January 17, 2010

चक्की

250 ग्राम- सिके हुए तिल (दरदरा करके), 200 ग्राम- चीनी, 1 लीटर- दूध गाढा, 1/2 छोटा चम्मच- पिसी इलायची, 8-10 पत्ती- केसर।यूं बनाएंदूध को उबलने रखें। जब वह करीब डेढ गिलास रह जाए तो चीनी, केसर, इलायची डालकर उबालें। चीनी गलने पर तिल डालें। अच्छी तरह हिलाएं। 1-2 मिनट आंच पर रखें, फिर आंच से उतारकर चिकनाई लगी थाली में डालकर थेपकर बराबर करें, चाहें तो वरक लगा दें। ठंडा होने पर चाकू से बर्फी काटें और 2-3 घंटे बाद निकाल कर डिब्बे में डाल लें।

तिल के लड्डू

1/2 किग्रा।- धुले हुए तिल, 300 ग्राम- गुड, 1/2 गिलास पानी, 1/2 छोटा चम्मच- इलायची पिसी हुई।यूं बनाएंतिल को धोकर सुखाएं। थोडे सीमे रहने पर कडाई में धीमी आंच पर तिल फूलने तक सेकें और ठंडा कर लें। गुड का चूरा करें और पानी डालकर गलाएं। गलने पर चलनी से कडाही में छान लें। अब इसे तेज आंच पर उबालें। जब चाशनी गाढी होकर झाग बनने लगे, तो एक बूंद चाशनी पानी में डालकर देखें। यदि उसकी गोली जम जाती है, तो चाशनी तैयार है। गैस बंद कके तिल और इलायची डालें। अच्छी तरह हिलाएं और हाथ में पानी लगाकर लड्डू बांध लें। नोट: चाशनी ठंडी होने पर लड्डू नहीं बंधेंगे। इसलिए लड्डू जल्दी-जल्दी बांधें।

सब्जी खायो रोग भगायो

फास्टफूड के जमाने में ज्यादातर लोग सब्जियां खाने के नाम पर नाक-मुंह सिकोडते हैं, पर सब्जियों में पाए जाने वाले पोषक तत्व आपको कई बीमारियों से बचाते हैं।पेशाब में जलन होने पर - लौकी और हरे धनिए का रस पीएं।सीने और पेट में जलन होने पर - धनिया और मिश्री मिलाकर पीएं या खीरे (ककडी) का रस लें।जोडों में दर्द होने पर - फूलगोभी उबालकर लें या उबला हुआ आलू खाएं।खांसी होने पर - प्याज की सब्जी लें।आयरन की कमी होने पर - बैंगन की सब्जी का प्रयोग करें।पेट में कीडे होने पर - परवल की सब्जी खाएं।गठिया रोग में - सहजना के पत्ते की सब्जी या आलू की सब्जी का प्रयोग करें।मधुमेह रोग में - करेले की सब्जी का प्रयोग करें।भूख कम लगने पर - मूली का प्रयोग करें। सब्जी या सलाद या रोटी बनाकर खाएं।बाल झडने पर - अरबी का रस बालों में लगाएं।हाथ पैर में अधिक पसीना आने पर - बैंगन का रस लगाएं।पथरी रोग में - मूली का प्रयोग करें। रस या सब्जी काम में लें।उल्टी, दस्त, हैजा होने पर - पुदीने का प्रयोग करें। चटनी भी बना सकते हैं।बांझपन में - लहसुन का रोज प्रयोग करें।बुखार होने पर - चौलाई की सब्जी खाएं।पैरों में बिवाइयां होने पर - शलजम का प्रयोग करें। खाएं और लगाएं।आंखों में जाला होने पर - कच्चे आलू को घिसकर आंखों में लगाएं।दांत का दर्द - प्याज को खाने पर दर्द ठीक हो जाएगा।सूखी खांसी में - अरबी की सब्जी खाएं।दाद होने पर - लहसुन की राख और शहद मिलाकर लगाएं।पेट दर्द में - हरे पुदीना का प्रयोग करें।स्त्रीरोग में - भिंडी का प्रयोग करें। कच्ची भिंडी भी ले सकते हैं।मोटापा में - लौकी और अदरक का रस का प्रयोग करें या खीरा खाएं।खूनी बवासीर में - अरबी खाने में लेे।कब्ज रोग में - चने की भाजी का प्रयोग करें। पानसी या पत्ते भी इस्तेमाल करें।कैल्शियम की कमी होने पर - शलगम की सब्जी पत्ते सहित बनाएं।