Thursday, April 14, 2011

तोशाम के बारे में

तोशाम में एक हर्बल पार्क भी खुल चूका है जिसका उदघाटन किरण चौधरी ने किया था यह पार्क सुरेंदर सिंह की याद में बनाया गया था इस पार्क में सभी हर्बल पोधे लगे हैं जो जीवन के काम आने वाले हैं और यहाँ पर पोधो को खरीद भी सकते हैं बच्चो के मनोरंजन के लिए झूले भी लगे हैं सभी के बैठने के लिए अच्छी घास वाली जगह हैं
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Thursday, September 23, 2010

नारियल के फायदे

नारियल का सेवन स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद होता है। इसमें पोटैशियम, कैल्शियम, मैग्नीशियम, फाइबर, विटामिन ए, बी, सी और खनिज प्रचुर मात्रा में पाया जाता है। वैज्ञानिकों के मुताबिक मोटापे की समस्या से जूझ रहे लोगों के लिए नारियल का सेवन फायदेमंद होता है। इसमें कोलेस्ट्राल और वसा नहीं पाया जाता।
[अन्य फायदे]
* पाचन क्रिया को बेहतर बनाता है।
* यह इंफ्लूएंजा, दाद, चेचक, हेपेटाइटिस सी जैसे बीमारियों के लिए जिम्मेदार वायरस को खत्म कर देता है।
* शरीर को तुरंत ऊर्जा प्रदान करता है।
* रक्त में ग्लूकोज की मात्रा को संतुलित बनाए रखता है। यह डायबिटीज का खतरा भी घटाता है।
* यह हड्डियों और दांतों को भी मजबूत बनाता है।
* यह किडनी के स्टोन को गलाने में मदद करता है।
* मोटापे से बचाता है।
* ऑस्टियोपोरोसिस के खतरे से बचाता है।
* यह ब्रेस्ट, कोलन (बड़ी आंत) और लिवर कैंसर के खतरे से बचाता है।
* दिल के मरीजों के लिए काफी फायदेमंद है। यह कोलेस्ट्राल के अनुपात को सुधारता है और दिल की बीमारी के खतरे को कम करता है।
* यह शरीर पर पड़ने वाली झुर्रियों और शिथिल पड़ती त्वचा के लिए उपयोगी होता है।
* लगातार उल्टी आने पर नारियल पानी का सेवन लाभकारी होता है।

Thursday, April 22, 2010

अंगूर के फायदे

अंगूर एक बलवर्घक एवं सौन्दर्यवर्घक फल है। अंगूर फल मां के दूघ के समान पोषक है। फलों में अंगूर सर्वोत्तम माना जाता है। यह निर्बल-सबल, स्वस्थ-अस्वस्थ आदि सभी के लिए समान उपयोगी होता है। बहुत से ऎसे रोग हैं जिसमें रोगी को कोई पदार्थ नहीं दिया जाता है। उसमें भी अंगूर फल दिया जा सकता है। पका हुआ अंगूर तासीर में ठंडा, मीठा और दस्तावर होता है। यह स्पर को शुद्ध बनाता है तथा आँखों के लिए हितकर होता है। अंगूर वीर्यवर्घक, रक्त साफ करने वाला, रक्त बढाने वाला तथा तरावट देने वाला फल है। अंगूर में जल, शर्करा, सोडियम, पोटेशियम, साइट्रिक एसिड, फलोराइड, पोटेशियम सल्फेट, मैगनेशियम और लौह तत्व भरपूर मात्रा में होते हैं। 1. अंगूर ह्वदय की दुर्बलता को दूर करने के लिए बहुत गुणकारी है । ह्वदय रोगी को नियमित अंगूर खाने चाहिएं। 2. अंगूर के सेवन से फेफडों मे जमा कफ निकल जाता है, इससे खाँसी में भी आराम आता है। 3. अंगूर जी मिचलाना, घबराहट, चक्कर आने वाली बीमारियों में भी लाभदायक है। 4. श्वास रोग व वायु रोगों में भी अंगूर का प्रयोग हितकर है। 5. नकसीर एवं पेशाब में होने वाली रूकावट में भी हितकर है। 6. अंगूर का शरबत लो ""अमृत तुल्य"" है। शरीर के किसी भी भाग से रक्त स्राव होने पर अंगूर के एक गिलास ज्यूस में दो चम्मच शहद घोलकर पिलाने पर रक्त की कमी को पूरा किया जा सकता है जिसकी कि रक्तस्राव के समय क्षति हुई है। 7. अंगूर का गूदा " ग्लूकोज व शर्करा युक्त " होता है। विटामिन "ए" पर्याप्त मात्रा में होने से अंगूर का सेवन " भूख " बढाता है, पाचन शक्ति ठीक रखता है, आँखों, बालों एवं त्वचा को चमकदार बनाता है। 8. हार्ट-अटैक से बचने के लिए बैंगनी (काले) अंगूर का रस "एसप्रिन" की गोली के समान कारगर है। "एसप्रिन" खून के थक्के नहीं बनने देती है। बैंगनी (काले) अंगूर के रस में " फलोवोनाइडस " नामक तत्व होता है और यह भी यही कार्य करता है। 9. पोटेशियम की कमी से बाल बहुत टूटते हैं। दाँत हिलने लगते हैं, त्वचा ढीली व निस्तेज हो जाती है, जोडों में दर्द व जकडन होने लगती है। इन सभी रोगों को अंगूर दूर रखता है। 10. अंगूर फोडे-फुन्सियों एवं मुहासों को सुखाने में सहायता करता है। 11. अंगूर के रस के गरारे करने से मुँह के घावों एवं छालों में राहत मिलती है। 12. एनीमिया में अंगूर से बढकर कोई दवा नहीं है। 13. उल्टी आने व जी मिचलाने पर अंगूर पर थोडा नमक व काली मिर्च डालकर सेवन करें। 14. पेट की गर्मी शांत करने के लिए 20-25 अंगूर रात को पानी में भिगों दे तथा सुबह मसल कर निचोडें तथा इस रस में थोडी शक्कर मिलाकर पीना चाहिए। 15. गठिया रोग में अंगूर का सेवन करना चाहिए। इसका सेवन बहुत लाभप्रद है क्योंकि यह शरीर में से उन तत्वों को बाहर निकालता है जिसके कारण गठिया होता है। 16. अंगूर के सेवन से हडि्डयाँ मजबूत होती हैं। 17. अंगूर के पत्तों का रस पानी में उबालकर काले नमक मिलाकर पीने से गुर्दो के दर्द में भी बहुत लाभ होता है। 18. भोजन के आघा घंटे बाद अंगूर का रस पीने से खून बढता है और कुछ ही दिनों में पेट फूलना, बदहजमी आदि बीमारियों से छुटकारा मिलता है। 19. अंगूर के रस की दो-तीन बूंद नाक में डालने से नकसीर बंद हो जाती है।

दही का उपयोग

दूध में लैक्टोबेसिल्स बुलगारिक्स बैक्टीरिया को डाला जाता है, इससे शुगर लैक्टीक एसिड में बदल जाता है। इससे दूध जम जाता है और इस जमे हुए दूध को दही कहते हैं। दूध के मुकाबले दही खाना सेहत के लिए ज्यादा फायदेमंद है। दूध में मिलने वाला फैट और चिकनाई शरीर को एक उम्र के बाद नुकसान पहुंचाता है। इस के मुकाबले दही से मिलने वाला फास्फोरस और विटामिन डी शरीर के लाभकारी होता है। दही में कैल्सियम को एसिड के रूप में समा लेने की भी खूबी होती है। रोज 300 मि.ली. दही खाने से आस्टियोपोरोसिस, कैंसर और पेट के दूसरे रोगों से बचाव होता है। डाइटिशियन के मुताबिक दही बॉडी की गरमी को शांत कर ठंडक का एहसास दिलाता है। फंगस को भगाने के लिए भी दही का प्रयोग किया जाता है। बीमारियां भगाता है दही :आज की भागदौड की जिंदगी में पेट की बीमारियों से परेशान होने वाले लोगों की संख्या सब से ज्यादा होती है। ऎसे लोग यदि अपनी डाइट में प्रचूर मात्रा में दही को शामिल करें तो अच्छा होगा। दही का नियमित सेवन करने से शरीर कई तरह की बीमारियों से मुक्त रहता है। दही में अच्छी किस्म के बैक्टीरिया पाए जाते हैं, जो शरीर को कई तरह से लाभ पहुंचाते हैं। पेट में मिलने वाली आंतों में जब अच्छे किस्म के बैक्टीरिया का अभाव हो जाता है तो भूख न लगने जैसी तमाम बीमारियां पैदा हो जाती हैं। इस के अलावा बीमारी के दौरान या एंटीबायटिक थेरैपी के दौरान भोजन में मौजूद विटामिन और खनिज हजम नहीं होते। इस स्थिति में दही सबसे अच्छा भोजन बन जाता है। यह इन तत्वों को हजम करने में मदद करता है। इससे पेट में होने वाली बीमारियां अपनेआप खत्म हो जाती हैं। दही खाने से पाचनक्रिया सही रहती है, जिससे खुलकर भूख लगती है और खाना सही तरह से पच भी जाता है। दही खाने से शरीर को अच्छी डाइट मिलती है, जिस से स्किन में एक अच्छा ग्लो रहता है। इन्फेकशन से बचाव: मुंह के छालों पर दिन में 2-4 बार दही लगाने से छाले जल्द ही ठीक हो जाते हैं। शरीर के ब्लड सिस्टम में इन्फेक्शन को कंट्रोल करने में वाइट ब्लड सेल्स का महत्तवपूर्ण योगदान होता है। दही खाने से वाइट ब्लड सेल्स मजबूत होते हैं, जो शरीर की रोगप्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाते हैं। बढती उम्र के लोगों को दही का सेवन जरूर करना चाहिए। जो लोग लंबी बीमारी से लड रहे होते हैं, उन्हे दही अवश्य खाना चाहिए। दही उनके लिए बहुत फायदेमंद होता है। सभी डायटीशियन एंटीबायटिक थेरैपी के दौरान दही का नियमित सेवन करने की राय देते हैं। दही के सेवन से हार्ट में होने वाले कोरोनरी आर्टरी रोग से बचाव किया जा सकता है। डॉक्टरों का मानना है कि दही के नियमित सेवन से शरीर में कोलेस्ट्रोल को कम किया जा सकता है। सबके लिए लाभकारी: दही एक प्रिजर्वेटिव की तरह काम करता है। दही खमीरयुक्त डेयरी उत्पाद माना जाता है। पौष्टिकता के मामले में दही को दूध से कम नहीं माना जाता है। यह कैल्सियम तत्व के साथ ही तैयार होता है। कार्बोहाइडे्रट, प्रोटीन और फैट्स को साधारण रूप में तोडा जाता है। इसलिए दही को प्री डाइजेस्टिक फूड माना जाता है। दही को छोटे बच्चों के लिए भी उपयुक्त होता है। जोलोग किसी कारण लैक्टोस यानी शुगर मिल्क का सेवन नहीं कर पाते वे भी दही का सेवन कर सकते हैं। शुगर लैक्टीेक एसिड में बंट जाती है। बैक्टीरिया भी कैल्सियम और विटामिन बी को हजम करने में मदद करता है। अगर मीठा दही खाना हो तो इसमें चीनी की जगह पर शहद या ताजा फलों को मिलाया जा सकता है। दही और छाछ गरमी को अंदर और बाहर दोनों तरह से बचाता है। दही तपती धूप का प्रकोप रोकने में भी सहायक है। ठंडे या फ्रिज में रखे दही का सेवन नहीं करना चाहिए। सदैव ताजा दही का ही सेवन करना चाहिए।

Saturday, April 17, 2010

चाय की पती

चाय बनाने के बाद छनी हुई चाय की पत्तियां अक्सर लोग बेकार समझकर फेंक देते हैं, लेकिन हम आपको यह बताएगें कि आप इन चाय की पत्तियों को फिर से कैसे इस्तेमाल करें -- हाथ-पांव या किसी अंग में कट गया हो और खून बह रहा हो, तो इसे भर दें।- बालों को मुलायम बनाने के लिए चाय की पत्ती को मेहंदी, आंवला के साथ सर पर लगायें अच्छी तरह सूख जाने पर धोयें।-चाय की पत्ती कपड़े में बांध कर उबलते छोले में डाल दें। इससे छोला रंगदार व स्वादिष्ट बन जाएगा। -चाय की पत्ती को पानी में डालकर उबालें उस पानी से लकडी़ के फर्नीचर और शीशा साफ करें। दाग धब्बे छूट जायेंगे व चमकदार हो जाते हैं।-बनी हुई चाय की पत्ती अच्छी तरह धो लें। उसमें मिठास न रह जाय। उसे मनीप्लांट और गुलाब पौधे में डालें यह खाद का काम करेगी।-बनी हुई चाय की पत्ती दुबारा पानी में डाल कर उबालें। उस पानी से घी और तेल के डब्बे साफ करें। इससे डब्बे की दुर्गंध जाती रहेगी। -जिस स्थान पर अधिक मक्खियां बैठ रही हों। वहां धोयी हुई चाय की पत्ती को गीला करके रगड़ दें।-चाय की पत्ती में थोड़ा सा विम पाउडर मिलाकर क्राकरी साफ करें। उसमें चमक आ जाएगी।

प्याज का रस बड़ा ही गुणकारी है।

प्याज का रस बड़ा ही गुणकारी है। आप इन नुस्खों को आजमायें-* मच्छर भगाने के लिये बिस्तर पर प्याज का रस छिड़क दें तुरंत मच्छर भाग जायेगा।* गठिया रोग में, प्याज के रस में जरा सा राई का तेल मिलाकर मालिश करें गठिया रोग में लाभ होगा।*चेहरे पर झांई मुंहासे हो तो मुंहासे पर प्याज का रस लगायें, झांई हो तो प्याज का बीज पीसकर उसमें शहद मिलाकर लगायें।* अगर कही पर आप जल जाय तो, प्याज को कुचलकर जले पर लगायें। तुरंत आराम मिलेगा।* कुत्ते के काटने पर, प्याज पीसकर लगा दें। प्याज का रस पिला दें खतरा नहीं रहेगा।* सांप के काटने पर, अधिक प्याज का रस पिला दें, विष उतर जायेगा।* जुकाम प्याज का रस सूंघने से ठीक हो जायेगा।* नकसीर (गर्मियों में नाक से खून आना) प्याज का रस सूंघने से ठीक हो जाता है। * अधिक पसीना (पसीने की बदबू) आता हो, तो कच्चा प्याज खायें।

सफेद दाग दूर करने के घरेलू नुस्खे

सफेद दाग को लोगों ने कुष्ट रोग का नाम दिया है, ऐसे नामों से प्रायः लोग घबरा जाते हैं मगर सफेद दाग छूत की बीमारी नहीं है। संक्रामक रोग नहीं है। केवल त्वचा का रंग बदल जाता है किसी कारण से। अगर सही समय पर इसका इलाज किया जायें, तो समय जरूर लगेगा परंतु यह ठीक हो सकता है। इसके इलाज के लिये धैर्य की जरूरत होती है। इलाज करते-करते इन दागों के बीच में काले काले धब्बे पड़ते है। इसके लिये घबराइये नहीं। काले निशान फैलते जानने का संकेत सफेद दाग के ठीक होने का है। धीरे-धीरे काले निशान फैलते जायेंगे और सफेदी खत्म होती जायेगी। त्वचा का रंग सामान्य होता जाएगा। सफेद दाग त्वचा पर क्यों होते हैं इसका कोई विशेष कारण साफ-साफ पता नहीं चला है। मगर फिर भी कुछ कारण ऐसे है जिनकी वजह से सफेद दाग होते हैं व तेजी से फैलते भी हैं जैसे- *विरोधी भोजन लेने से। दूध व मछली साथ-साथ न लें।*शरीर का विषैला तत्व (Toxic) बाहर निकलने से न रोकें जैसे- मल, मूत्र, पसीने पर डीयो न लगायें। *मिठाई, रबडी, दूध व दही का एक साथ सेवन न करें।*गरिष्ठ भोजन न करें जैसे उडद की दाल, मांस व मछली। *भोजन में खटाई, तेल मिर्च,गुड का सेवन नकरें।*अधिक नमक का प्रयोग न करें।*ये रोग कई बार वंशानुगत भी होता है।*रोज बथुआ की सब्जी खायें, बथुआ उबाल कर उसके पानी से सफेद दाग को धोयें कच्चे बथुआ का रस दो कप निकाल कर आधा कप तिल का तेल मिलाकर धीमी आंच पर पकायें जब सिर्फ तेल रह जाये तब उतार कर शीशी में भर लें। इसे लगातार लगाते रहें । ठीक होगा धैर्य की जरूरत है।*अखरोट खूब खायें। इसके खाने से शरीर के विषैले तत्वों का नाश होता है। अखरोट का पेड़ अपने आसपास की जमीन को काली कर देती है ये तो त्वचा है। अखरोट खाते रहिये लाभ होगा।*रिजका (Alfalfa) सौ ग्राम, रिजका सौ ग्रा ककडी का रस मिलाकर पियें दाद ठीक होगा।*लहसुन के रस में हरड घिसकर लेप करें तथा लहसुन का सेवन भी करते रहने से दाग मिट जाता है। *छाछ रोजना दो बार पियें सफेद दाग ठीक हो सकता है।*लहसुन के रस में हरड को घिसकर कर लेप करें साथ साथ सेवन भी करें। *पानी में भीगी हुई उडद की दाल पीसकर सफेद दाग पर चार माह तक लगाने से दाद ठीक हो जायेगा।* हल्दी एक औषधि है। इससे त्वचा रोग में फायदा होता है। सौ ग्राम हल्दी, चार सौ ग्राम स्पिरिट (स्प्रिट) लेकर मिलायें और खाली शीशी में भर कर रख दें धूप में दिन में कम से कम तीन बार हिलायें जोर-जोर से। ये टिंचर का का करेगा दिन में तीन बार शरीर पर लगायें। हल्दी गर्म दूध में डालकर पियें छः महीने कम से कम। *तुलसी का तेल बनायें, जड़ सहित एक हरा भरा तुलसी का पौधा लायें, धोकर कूटपीस लें रस निकाल लें। आधा लीटर पानी आधा किलो सरसों का तेल डाल कर पकायें हल्की आंच पर सिर्फ तेल बच जाने पर छानकर शीशी में भर लें। ये तेल बन गया अब इसे सफेद दाग पर लगायें। *नीम की पत्ती, फूल, निंबोली, सुखाकर पीस लें प्रतिदिन फंकी लें।सफेद दाग के लिये नीम एक वरदान है। कुष्ठ जैसे रोग का इलाज नीम से सर्व सुलभ है। कोई बी सफेद दाग वाला व्यक्ति नीम तले जितना रहेगा उतना ही फायदा होगा नीम खायें, नीम लगायें ,नीम के नीचे सोये ,नीम को बिछाकर सोयें, पत्ते सूखने पर बदल दें। पत्ते,फल निम्बोली,छाल किसी का भी रस लगायें वएक च. पियेंभी।जरूर फायदा होगा कारण नीम खु में एक एंटीबायोटिक है।ये अपने आसपास का वातावरण स्वच्छ रखता है। इसकी पत्तियों को जलाकर पीस कर उसकी राख इसी नीम के तेल में मिलाकर घाव पर लेप करते रहें। नीम की पत्ती, निम्बोली ,फूल पीसकर चालीस दिन तततक शरबत पियें तो सफेद दाग से मुक्ति मिल जायेगी। नीम की गोंद को नीम के ही रस में पीस कर मिलाकर पियें तो गलने वाला कुष्ठ रोग भी ठीक हो सकता है।