Friday, November 27, 2009

केले का औषधीय महत्त्व

(1) वजन बढ़ाने के लिए-

एक पाव दूध के साथ रोजाना दो केलों का सेवन करने से स्वास्थ्य अच्छा रहता है और शरीर का वजन बढ़ता है। 

(2) आँत सम्बन्धी रोगों में-

कई लोगों की आंतों में गड़बड़ी होने के कारण उन्हें दस्त या पेचिस की शिकायतें बनी रहती हैं। ऐसे लोगों को दो केलों का सेवन उनके (केलों के) वजन से आधे वजन के दही के साथ करना लाभकारी है।

(3) मुँह के छालों पर-

कुछ लोगों को आये दिन मुंह के छाले हो जाते हैं। ऐसे लोगों को चाहिए कि वे गाय के दूध से निर्मित दही के साथ केला खायें। यह प्रयोग सात से दस दिन तक करना पड़ता है। 

(4) शीघ्रपतन में-

शीग्रपतन के रोगियों के लिये केला रामबाण औषधि है। इसके लिये केले को शहद के साथ खाना चाहिये। इसकी मात्रा है, एक केले के साथ एक तोला शहद। यह प्रयोग कम से कम पन्द्रह दिनों तक लगातार करें। 

(5) पेट के कीड़े मारने तथा खून शुद्ध करने के लिये-

इसके लिए केलों की जड़ के अर्क सेवन लाभदायक है। इस अर्क को बनाने के लिये लगभग एक किलो जल में 50 ग्राम केले की जड़ में डालकर इतना गर्म करें कि जल की मात्रा आधी हो जाये। इसके बाद मिश्रण को छान लें। यही छानन अर्क है। इसी अनुपात में ताजा अर्क बनायें। अर्क की दो तोला मात्रा एक बार में लें। 

(6) स्त्रियों के सोमरोग में-

स्त्रियों में पुरुषों के बहुमूत्र रोग के समान ही एक रोग होता है। इसे सोमरोग कहते हैं। इस रोग के इलाज के लिए केले को शहद और शक्कर के साथ खाना चाहिये। दो केले के साथ एक तोला शहद और एक तोला शक्कर पर्याप्त है। 

(7) टी.बी.में-

टी.बी. यानी क्षय रोग में रोगी को पका केला देने से शरीर में शान्ति महसूस होती है और खाँसी में भी आराम मिलता है।

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